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कविता

मुखौटा

पंकज चौधरी


शैतान होना सबसे अच्‍छा है
क्‍योंकि शैतान कम से कम
प्रभु होने का ढोंग तो नहीं करता

विधर्मी होना सबसे अच्‍छा है
क्‍योंकि विधर्मी कम से कम
धार्मिक होने की पताका तो नहीं फहराते फिरता

झूठा होना सबसे अच्‍छा है
क्‍योंकि झूठा कम से कम
सत्‍यवादी होने का डंका तो नहीं पिटते फिरता

चोर होना/व्‍यभिचारी होना सबसे अच्‍छा है
क्‍योंकि चोर/व्‍यभिचारी कम से कम
संत होने की माला तो नहीं फेरते घूमता

धोखेबाज होना सबसे अच्‍छा है
क्‍योंकि धोखेबाज कम से कम
वफादार होने का दंभ तो नहीं भरे फिरता

भ्रष्‍ट होना सबसे अच्‍छा है
क्‍योंकि भ्रष्‍टाचारी कम से कम
ईमानदार होने का सर्टिपिफकेट तो प्राप्‍त नहीं करते फिरता

दुर्जन होना सबसे अच्‍छा है
क्‍योंकि दुर्जन कम से कम
सज्‍जनता की गठरी तो खोलकर बैठा नहीं रहता

अमित्र होना सबसे अच्‍छा है
क्‍योंकि अमित्र कम से कम
मित्र होने का स्वाँग तो नहीं रचता

और राष्‍ट्रद्रोही होना तो सबसे अच्‍छा है
क्‍योंकि राष्‍ट्रद्रोही कम से कम
राष्‍ट्रवादी होने की मुनादी तो नहीं पिटवाते फिरता।


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